की जैसे किस्मत मेरी हो कोई सूखा खजूर ....
रस का भी मज़ा नहीं और खाना है जरूर ....
भला मंज़िल भी हमको कैसे मिले बदस्तूर ....
अभी तो जूते फटे हैं ,पजामा सलामत है हुजूर ....
बीच राह बची इज्जत हमारे नाड़े ने लुटा दी ....
देख चंद फूल राह मे आबरू कांटो मे उलझा दी ...
खींचा-तानी मे नुकसान भी अपना ही हुआ ...
लाज कच्छे ने बचाई , अब सफर एक जुआं ....
ना अब थी मंज़िल की फिकर,ना चाहिये थी जख्मो को दवा .....
बस एक थी मिन्नत यही, की तेज चले ना हवा ......
अब तो जान से ज्यादा ये कच्छा ही प्यारा है .....
सांसो से ज्यादा अब ये जीने का सहारा है .....
इसलिये ही कहते हैं , गौर करो बड़ों की सलाह मे ....
और पजामा हो बिन नाड़े का , जो जाना हो कांटो भरी राह मे .... :) ;)
-vivek tiwari
If possible convert all old posts in hindi one by one.....Sara maza bigad jata hai english me
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